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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-5)

(अंकल एक विचित्र व्यक्ति मालूम होता था। थोड़ा इमोशनल थोड़ा कॉमेडियन, थोड़ा गुस्सेल, थोड़ा नम्र, ,पहनावा एक दम साधारण, नाम था प्रेम शास्त्री, सब उन्हें शास्त्री जी पुकारते थे। कॉलेज के रिटायर्ड हिंदी प्रवक्ता। पैसो की कोई कमी नही थी । किरायेदार इसलिए रखना चाहते थे ताकि उनका अकेलापन दूर हो जाये। क्योकि वो अकेले ही रहते थे। अपना काम स्वयम करना उनकी पुरानी आदत थी। इसीलिए कोई काम वाला भी नही रखा।)
 राज-(दरवाजे की घंटी बजाता है। 
शास्री जी- (दरवाजा खोलते हुए देखते है एक लड़का हाथ मे बैग लेकर खड़ा है वो समझ जाते है फिर वो एक बार कन्फर्म करते हुए पूछते )- क्या काम है बेटा। 
राज - सर् मैं राज। रूम चाहिए रेंट पर। आपसे बात की होगी किसी ने। 
शास्त्री जी - ओ..हाँ.. आइए आइए।अंदर आईये।
 राज - थैंक्स
 शास्त्री जी- ( सोफे की तरफ इशारा करते हुए) आप बैठो में पानी लाता है।
 राज- (बैठते हुए पूरे घर को देखता है देखने मे बहुत बड़ा था। बहुत कमरे थे । ) 
शास्त्री जी- (पानी का गिलास लड़के की तरफ बढ़ाते हुए मुस्कराते हुए) - ये लो पानी 
राज- थैंक्स। पानी पीता है। 
अंकल- खाना खाके आये हो बेटा।
 राज - जी अंकल
 अंकल- ठीक है , आज से ये हमारा घर है। 
राज- (हल्की आवाज में) मेरा कमरा कहाँ है।
 अंकल - ऊपर 2nd फ्लोर में चार कमरे है। चारो एक जैसे है। जिसमे मर्जी रह लो। 
राज- बाकी भी तो किरायेदार होंगे, और कोई नही है क्या।अंकल- नही मैं अकेले रहता हूँ। मैं और मेरी तन्हाई  इस कदर इस घर मे गूंजती थी कि मैंने मजबूरन एक किरायेदार रखने का फैसला किया।
राज-  (थोड़ा झिझकते हुए) फैमिली....
अंकल- (उसकी बात पर ध्यान बिना दिए) अक्सर दिव्या बिटिया कभी कभी आया करती है तो उसने बताया एक दोस्त है उसका । कमरे की तलाश में। मैने तो मना  कर दिया था। फिर उसने बताया कि मेरा और आपका शौक मिलता है तो मैंने कहा ठीक है। भेज दो।
राज- जी अंकल, बताया था आपके शौक के बारे में
अंकल-   शौक ही मिलनी चाहिए। हमारी कहानी एक जैसी न हो भगवान से दुआ करता हूँ। 
राज- (अंकल की बात सुनते हुए)-  हाँ शौक तो मिलता है। और कहानी का पता नही। उसका पता आपकी ऐज में आकर चलेगा। 
अंकल- नही बेटा। मेरी कहानी तो चालीस साल पहले ही खत्म हो गयी।
 राज- मतलब,,, मैं समझा नही। अंकल- समझ जाओगे अभी अभी तो मिले है। छोड़ो पुरानी बातें। अच्छा ये बताओ किस किस तरह के गाने गा लेते हो। 
राज - (आश्चर्य से) गा लेते हो। मतलब आपको गाना गाने का शौक है।
 अंकल - हाँ , और दिव्या ने बताया आप भी बहुत अच्छा गाते हो। कॉलेज में धमाल मचाते है आपके गाने।,,, खुद लिखते भी हो या,, फिल्मो का गाते हो। 
राज - (सहम जाता है, अब करे तो करे क्या ना बोले तो फस जाएगा हाँ बोले तो भी।)- दोनों गा लेता हूँ।
 अंकल- बहुत अच्छा बेटा तरक्की करो।अगर कभी गाने का मन करे तो ड्राइंग रूम में गिटार, हारमोनियम, वायलिन, सबकुछ पड़ा है। 
राज - ओके अंकल जी।

(अंकल राज को उसके कमरे में छोड़  आते है। )

 (राज को रातभर नींद नही आयी। एक बैचेनी सी थी। और दिमाग मे ये था कि खुद को बेगुनाह कैसे साबित किया जाए। जब सोच सोच कर थक गया तो उसकी आंख लगने लगी । करीब 4 बजे सुबह उसकी आंख लग ही रही थी कि उसको कुछ गाने की आवाज और वॉयलिन की धुन सुनाई देने लगी।आवाज में एक दर्द थी और हर लफ्ज एक कहानी बयां कर रहे थे। फिर अचानक शायरी सुनाई दी।

 सुनता रहा हूँ  मैं तेरी खामोशियां।
 आज तो दर्द बयां कर दे।
 मेरी खुशिया ले गयी पुराने से गम दे गयी
खुशिया न दे सही
मेरा गम तो नया कर दे।
 सुनता रहा हूँ  मैं तेरी खामोशियां।
 आज तो दर्द बयां कर दे
फिर से गाने की धुन चालू हो जाती है।
राज आवाज का पीछा करते करते ड्रॉइंग रूम पहुंच जाता है।और देखता है अंकल गुनगुना रहे है। राज सोचता है बुढ़ापे में सब भजन गाते है और ये ग़ज़ल,शायरी!!)

(अंकल राज को देख कर एकाएक चुप हो जाते है और बोलते है।)
 शास्त्री जी-  अरे बेटा, माफ कीजिये। मुझे याद नही था आज मैं अकेला नही हूँ। ख़ामोखा आपकी नींद खराब कर दी।
 राज- नही अंकल जी , कोई नींद खराब नही की। बहुत अच्छा गाया आपने। मुझे आपकी आवाज यहाँ तक खींच लाई। 
अंकल - (मुस्कराते हुए) शुक्रिया, अब आपकी बारी।
 राज - (बात टालते हुए) - काफी दर्द था गाने में कोई  बात है अंकल जी जो आपको बहुत परेशान कर रही है।
 अंकल - (मुस्कराते हुए।) शब्दो का खेल है बेटा। लफ्ज़ आगे पीछे, और लय , ताल ऊपर नीचे हो जाये तो उनका अर्थ बदल जाता है। और अर्थ जिसके समझ मे आता है उसे ही दर्द और खुशी का एहसास होता है।
 राज- दिल मे दर्द हो तो लफ्ज़ अपने आप करुण हो जाते है अंकल जी, मुस्कराहट का क्या है। एक पल के लिए झूठी मुस्कराहट हर कोई दे सकता है। 
अंकल - लगता है तुम्हारे अंदर भी काफी दर्द भरा है। ऐसी बाते दिल टूटने वाले ही करते है। 
राज - (मुस्कराते हुए।) नही अंकल जी, ऐसी कोई बात नही है।
 अंकल - इसी मुस्कराहट को अभी अभी झूठा बताया था आपने। अब उसी का सहारा ले रहे हो।
 राज- (फिर मुस्कराते हुए ) आपका कोई जवाब नही अंकल जी। मुझे एक दोस्त नजर आने लगा है आपमे। 
अंकल- (हाथ आगे बढ़ाते हुए) मुझसे दोस्ती करोगे
 राज - (हाथ मिलाते हुए) जी जरूर 
अंकल- अच्छा अब हम दोस्त है।
 राज - जी
 अंकल - इसी बात पर एक गाना सुना दे।
 राज- आप मुझे सिखाओगे गाना गाना तो जरूर सुंनाऊँगा। दर्शल मुझे गाना गाने का नही सुनने का शौक है। मैने झूठ बोला था कि गाना गा लेता हूँ । 
अंकल - झूठ से मुझे सख्त नफरत है।
निकल.....निकल बाहर इसी वक्त
 राज - (घबरा गया) और बिना कुछ बोले बाहर को जाने लगा। 
अंकल - तू कहाँ जा रहा है। 
राज - आपने तो कहा बाहर निकल.।
 अंकल - मैने तुझे नही तेरे अंदर के झूठ को बोला बाहर निकल, वादा कर आज के बाद झूठ नही बोलेगा,
 राज - वादा रहा।

(थोड़ी देर बाद   अंकल जी राज को नहाने धोने को बोलते है और खुद नहाकर पूजा आरती करने लगते है। राज नहाकर आता है तब तक अंकल खुद के लिए और उसके लिए चाय नास्ता बना लेते है। दोनो नास्ता करते है।)
 राज - अंकल जी। एक बात बोलू । बुरा तो नही मानोगे।
 अंकल - बोलो बुरा क्यो मानूँगा। 
राज- आपकी बीवी बच्चे कहाँ रहते है। 
अंकल  - (थोड़ा नम्रता से ) मैंने शादी नही की ।
राज- पर क्यो
 अंकल - प्यार करता था किसी से। और प्यार एक बर्बादी है। ठोकर खाने के बाद ही समझ आती है।
 राज - वो आपसे प्यार नही करती थी क्या। 
प्रेम अंकल- करती तो थी पर उसकी शर्ते बहुत थी। और प्यार की एक ही शर्त होती है कि प्यार में कोई शर्त नही होती।
 राज - (बात की गहराई को समझते हुए याद करता है संजना की लगाई शर्त को  " मुझसे दोस्ती करनी है तो पहले मेरी दोस्त दिव्या को अपना दोस्त बनाओ" 
अंकल- कहा खो गए। तुमने भी किसी से प्यार किया है क्या। राज- (ये बात सुनकर राज एकदम खांसने लगता है क्योकि नास्ता भी कर रहा था तो गला लग गया।)
 अंकल- (पानी पकड़ाते हुए) लो पानी पी लो।
 राज - (पानी पिता है) थेंक्स
(यहाँ पर बात खत्म हो जाती है राज को अभी घर छोड़े एक दिन हो रहा था। नया रूम बहुत अच्छा मिला था। रूम रेंट तक नही पूछ पाया। क्योकि प्रोफेसर साहब का मिजाज ही कुछ ऐसा था। सुबह के 9:00 बज गए थे ।राज ने ड्यूटी भी जाना था।  राज एक छोटी सी नौकरी करता था जिसमे उसकी टाइमिंग 10 से शुरू थी और छुट्टी  5 बजे। राज ने अंकल जी को बोला कि मैं ड्यूटी जा रहा हूँ और 9:00 बजे चले गया।
अंकल जी फूलो को पानी दे रहे थे। आवाज देते हुए कब  होती है छुट्टी। 
राज- 6 बजे तक आ जाऊंगा। बाय।
अंकल- बाय बेटा

(राज ड्यूटी से पहले दिव्या से मिलने की सोच रहा था।
राज  जाता है सीधे कॉलेज की तरफ और दिव्या को फोन करता है।)
 
दिव्या- हेलो। हाँ रीतू बोल।
(राज समझ गया पापा के साथ बैठी है।) 
राज - (आवाज पतली करते हुए)- मैं कॉलेज आ रही हूँ। दिव्या - पागल हो गयी क्या। तू अपना काम कर वो मेरा काम है। मैं संजना से बात अपने तरीके से करूंगी। और वैसे भी वो मेरे से कुछ नही छिपाती है। खुद ही बता देगी। 
राज - ठीक है शाम को मिलते है। 
दिव्या - ठीक है।
(राज ड्यूटी चले जाता है और दिव्या कॉलेज)

(दिव्या और संजना क्लास में साथ बैठते है। )
दिव्या- आज बहुत उदास लग रही है। क्या बात 
संजना- कुछ नही यार । घर मे पंगा पड़ गया कल शाम को। 
दिव्या- क्यो क्या हुआ। 
संजना- हमारे घर के सामने एक लड़का रहता है।   हुआ ये की उसने मेरे घर मे एक लेटर भेजा। जिसमे शायरी लिखी थीं । और अपने घर मे गाना चला दिया फूल तुम्हे भेजा है खत में वाला। चिठ्ठी मेरे हाथ लगती तो बात अलग थी। मेरे पापा को मिल गयी। फिर मेरे पापा तो थे गुस्से वाले उन्होंने उसी के घर जाकर उसको दो चार थप्पड़ मार दिए । और उसकी मौसी ने भी उसे घर से निकाल दिया। बहुत हंगामा हुआ उसकी वजह से। सारी गली इक्कठी हो गयी। 
दिव्या- हो सकता है । वो उसने न भेजा हो। 
संजना- नही अगर उसने नही भेजा तो गाना वो क्यों चलाया। और घर से सुबह निकालना था । रात को ही क्यो भाग गया।
दिव्या- गाना वही चला दिया तो क्या तू उसे गलत बोलेगी।
संजना- और भी गाने है, खत भेजकर खत भेज है गाना चला लिया उसने, पागल कही का, वो तो अच्छा हुआ भाई घर नही है आजकल वरना न जाने क्या होता कल।
 दिव्या- सोच उसके अलावा ये हरकत कौन कर सकता है। 
संजना- कोई नही। कल उसके चक्कर मे राजीव मेरे से नाराज हो गया। 
दिव्या- कौन, वो प्रिंसपल का लड़का।
 संजना - हाँ यार उसका फोन आ रहा था रात को । मेरा मूड था खराब , मैने फोन नही उठाया।
सुबह उसे फोन किया , अब वो फोन भी नही उठा रहा। मेसेज भी नही कर रहा। 
दिव्या- तुझे कितनी बार बोला राजीव अच्छा लड़का नही है। तू मानती नही।
 संजना- छोड़ यार तुझे राजीव से पता नही क्या दुश्मनी है।
 दिव्या- मेरी क्या दुश्मनी होगी उससे। वो तो दोस्ती करना चाहता था। मैंने इसलिए नही की क्योकि मैं अच्छे से जानती हूँ उसे। तू मुझे बिना बताए उससे दोस्ती कर बैठी। 
संजना- अच्छा तुझे बिना बताए दोस्ती की तब तुझे जलन हो रही है। 
दिव्या- मुझे क्यों जलन होगी भला। अच्छा , अभी सर क्लास में नही है। अभी कर उसे कॉल।
 संजना - नही अब। शाम को ही करूंगी।
 दिव्या- तेरी मर्जी।

(थोड़ी देर बाद मौका पाकर दिव्या राज को फ़ोन करती है)

राज - (मजाक में)- हेलो मै रितु बोल रही हूँ।
 दिव्या-(हंसते हुए) - मैने राज से बात करनी हैं।
 राज- कुछ पता लगा । लेटर के बारे में। 
दिव्या - संजू को भी यही लगता है कि वो लेटर आपने ही भेजा है। उसकी बातों से मुझे भी लगता हैं। कही सच मे आपने........(रुक जाती है)
 राज - मतलब तुम्हे भी नही यकीन मुझपर
 दिव्या - यकीन तो है। पर मेरा काम है शक करना। मुझे दो लोगो पर शक है।
 राज - किस किस पर 
दिव्या - राजीव  और तुम पर
राज - कौन राजीव 
दिव्या- प्रिंसपल का बेटा 
राज - उसका इससे क्या कनेक्शन हो सकता है। 
दिव्या - वो बाद में बताऊंगी तुम बस आज शाम संजना की पिछा करना मगर चुपचाप। 
राज- ठीक है।

( राज शाम को उनकी छुट्टी होने का इंतजार करता है। जब छुट्टी होती है तो देखता है संजना और दिव्या एक साथ बाहर तक आये फिर  दिव्या पापा के कार में बैठकर चली गयी। और संजना ने ऑटो रोकी और ऑटो मैं बैठ गयी। ऑटो चली गयी और राज ने दूसरी ऑटो रोकी वो भी उनके पिछे जाने लगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही जैसा दिव्या ने सोचा था। ना ही संजना राजीव से मिली । न कही औऱ गयी। वो सीधे घर गयी। राज लगभग घर के पास से ऑटो वाले को वापस ले चलता है सेक्टर 7 जहां की रेंट पर रहता है।)
(अंकल गार्डन में अखबार की कुछ कटिंग कर रहे थे हाथ मे चाय की कप उठाते हुए)
 अंकल- आ गया बेटे।
 राज-  जी अंकल
 अंकल- मैं मार्किट जा रहा हूँ कुछ काम है। तुम्हे रुका था। अब आ गए हो। मैं जा सकता हूँ। ध्यान रखना घर का।
 राज- जी अंकल जी।
(अंकल अखबार और कैंची राज को पकडाकर बोलता है ये अंदर रख देना मार्किट जाने लगता  है।)
राज- अंकल आप अपना रूम लॉक तो कर जाओ।
अंकल- अगर लॉक करना होता तो आपका इंतजार क्यो करता। अब तुम आ गए हो क्या फिक्र।
राज- इतना भरोसा , मुझपर, इतनी जल्दी
अंकल- अरे कुछ नही है रूम में जिसे चुराकर किसी का जिंदगी भर का आराम हो जाएगा।

(अंकल चले जाते है, राज को दिव्या का फोन आता है) 
दिव्या - हेलो, क्या हुआ कुछ पता लगा।
 राज -  नही। वो तो सीधे घर गयी। किसी से मिली नही।
 दिव्या- ठीक है। मैने अभी संजना को फ़ोन किया था। राजीव उसका फोन नही उठा रहा है। इसका मतलब  राजीव को अभी इस पंगे के बारे में कुछ नही पता।
 राज- तो उसको किसी भी तरह बताना होगा ना। कि पंगा पड गया है।
 दिव्या- पागल हो क्या। हम उसे बताएंगे नही, वरना वो सावधान हो जाएगा।
राज- तो हमें क्या करना चाहिए।
दिव्या-  राजीव को इस बारे में पता चले उससे पहले ही कुछ कर सकते है।
राज- राजीव को पता लग गया तो...
दिव्या- मेरा दिमाग पज़्ज़ल हो रहा है। कैसे संजना से बात होने से पहले राजीव तक पहुंचा जाए।
 राज - अरे यार में न तो राजीव को जानता हूँ । न कभी मिला उससे।
 दिव्या  - तुम कुछ मत करो। मैं शालिनी से बात करती हूँ
 राज - अब ये शालिनी कौंन है। 
दिव्या - राजीव की सिस्टर है। उसका मोबाइल नम्बर है मेरे पास ।
 राज- अभी मिलाओ उसे फोन , कॉन्फ्रेंस में रखो मुझे। 
दिव्या - ठीक है बीच मे बोलना मत।
(दिव्या नम्बर मिलाती है।) 
शालिनी - हाई दिव्या , हाऊ आर यु
 दिव्या - फाइन डिअर। आप बताओ कैसे हो।
 शालिनी - एक दम मस्त हूँ। आज कैसे किया याद मुझे।  दिव्या - बस याद आ जाती है कभी कभी। 
शालिनी - अच्छा। मेरी ही याद आ रही थी । या किसी और कि।
 दिव्या - किसी और कि मतलब 
शालिनी - आज तक तो कभी फ़ोन किया नही पर राजीव भाई का फोन खो गया। तब मुझे फोन किया। तब मुझे लगा क्या पता वो नही उठा रहा है तो मुझे कर दिया। 
दिव्या - मैं क्यों करूंगी उसे फोन। वैसे भी उसका नम्बर नही है मेरे पास। न ही उससे बात करती हूँ।
 शालिनी - डायरी में क्या ढूंढ रहे हो भाई 
दिव्या - क्या.………
 शालिनी - अरे नही आपको नही बोली, भाई कब से डायरी में कुछ ढूंढने में लगा है।

(राजीव शालिनी के सामने एक डायरी में कुछ ढूंढ रहा था पूछने पर उसने बताया । किसी दोस्त का नम्बर ढूंढ रहा हूँ। पुराने फोन के साथ सारे कांटेक्ट भी खो गए है। मैंने इसी मैं लिखा था। )
शालिनी - मैंने जो नई डायरी तुझे गिफ्ट्स करी थी उसमें लिखा कर । क्या पांच साल पुरानी डायरी में खिचड़ी पकाता है। पता नही कहा लिखा होगा। 
राजीव - अभी बहुत पेज है इसमें। बर्बाद नही कर सकता। भर जाएगी तो यूज़ कर लूंगा वो डायरी।
( ऐसा कहकर राज बाहर को चला जाता है)

 दिव्या - क्या ढूंढ रहा है डायरी में 
शालिनी- नम्बर ढूंढ रहा था किसी का।
अब चले गया।
(इतने में राज खाँसा, दिव्या ने एक मिनट होल्ड कर दिया शालिनी को)
 दिव्या - खाँस क्यों रहे हो। मैने बोला था चुप रहना। 
राज - क्या वो मुझे सुन पा रही है। 
दिव्या - नही। होल्ड पर है। 
राज - उससे पूछो जो डायरी है उसके पेज नम्बर 179 में देखो जून 19 वाले पेज में। वही पर लिखा होगा उसने नम्बर।
 दिव्या - तुम इतने भरोशे से कैसे कह सकते हो। 
राज - वो तुमसे भी यही सवाल करेगी। उसे बोलना की मेरे सामने ही लिखा राजीव ने। यकीन नही तो अभी देख लो। 
दिव्या - तुम चुप रहना अब।
(दिव्या शालिनी को अनहोल्ड करती है।) 
शालिनी- किसका फोन आ गया था। 
दिव्या - पापा का!
 शालिनी - ओके
दिव्या-अच्छा तेरे भाई को मिला नही नम्बर।
 शालिनी - नही मिला चले गया वो। 
दिव्या - डायरी कहा हैं। 
शालिनी - टेबल पर 
दिव्या - उसमे देख 19 जून वाले पेज में, पेज नम्बर 179 में देख। उसी में लिखा है।
 शालिनी - इतने भरोसे से कैसे कह सकती है। 
दिव्या - आजमा ले, मेरे सामने लिखा था,
 शालिनी -  लेकिन भाई की पर्सनल डायरी में मै कैसे देख सकती हूँ। 
दिव्या-  तुमने कौंन से सारे पेज चेक करने बस एक पेज में देख लो।
 शालिनी - ओके।
(ढूंढती है पेज नम्बर 179'
पेज 176 पलटती है, 177,178 पेज पलट कर देखा तो फिर आया 181)
 शालिनी - (हंसते हुए। )ओवरकांफिडेन्स की बच्ची 179 तो पेज हैं ही नही।
 दिव्या - (आश्चर्य से) क्या.…… है ही नही। 
शालिनी- सच मे नही है। वैसे भी 2014 से डायरी है। सारे पन्ने सलामत कैसे रहेंगे।

(दिव्या शालिनी को बाइ बोलकर उसको डिस्कनेक्ट कर देती है।) 
दिव्या - क्या यार राज। कोई ढंग का पेज नम्बर बताते। बताया भी वो जो उसमे था ही नही।
 राज - तुम समझे नही अब भी।
 दिव्या - नही 
राज  - वो पेज मेरे पास है। 
दिव्या - व्हाट , वो कैसे
 राज - वो चिठ्ठी। उसी डायरी से ली गयी पन्ने की है। 
दिव्या -  इसका मतलब , राजीव ही है जिसने चिट्ठी भेजी।

 (अब दिव्या और राज समझ गए थे। कि राजीव ही है ।जिसकी वजह से राज आज ऐसे हालात में है। सबूत न होने के कारण अभी कुछ कर नही सकते थे।)

(_____अब सबूत ढूंढने के लिए बनाएंगे प्लान.. अगले एपिसोड में और देखते है क्या कामयाब हो पाएंगे)


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6 Comments

🤫

06-Sep-2021 02:42 PM

ओह हो...करे कोई भरे कोई...कांड करे राजीव फंस गया राज।बेचारे को घर निकाला हो गया...😢 देखते क्या खिचड़ी पकती आगे....!!

Reply

Seema Priyadarshini sahay

02-Sep-2021 09:51 PM

बहुत ही रोचक कहानी का भाग

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Swati chourasia

01-Sep-2021 08:53 PM

Very beautiful

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